काला मोतियाबिंद (Glaucoma) क्या होता है ? लक्षण, कारण, 10 घरेलु उपचार Full Details

काला मोतियाबिंद (Glaucoma) क्या होता है ?

Glaucoma, जिसे काला मोतियाबिंद भी कहा जाता है, एक आंखों की सामान्य समस्या है जिसमें आंख की नसों में दबाव बढ़ जाता है, जिससे दृष्टि में कमी होती है। यह आमतौर पर धीरे-धीरे होने वाली बीमारी है और धीरे-धीरे दृष्टि को प्रभावित करती है, जिससे अंत में अंधापन हो सकता है। यह बीमारी आमतौर पर बड़ी आयु के व्यक्तियों में पाई जाती है, लेकिन कभी-कभी यह युवा लोगों में भी हो सकती है।

काला मोतियाबिंद एक गंभीर आँख समस्या है जो धीरे-धीरे बढ़ सकती है और दृष्टि को प्रभावित कर सकती है। यदि इसकी स्थिति समय रहते में पहचानी और उपचार की जाए, तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। समय पर नेत्र स्वास्थ्य की जांच करवाना और नियमित चेकअप करवाना Glaucoma जैसी समस्याओं की पहचान में मदद कर सकता है।

काला मोतियाबिंद

 

Glaucoma (काला मोतियाबिंद) के लक्षण और संकेत

  1. दृष्टि कमजोरी: सबसे प्रमुख लक्षण में से एक है दृष्टि में कमजोरी या धीरे-धीरे कमजोरी का अहसास। यह आंख की स्त्री की कमी की ओर संकेत कर सकता है.
  2. आंखों का दुखना या दर्द: जिसे कभी-कभी “आंखों का दर्द” भी कहा जाता है,काला मोतियाबिंद के मरीजों को आंखों में दुखना और दर्द हो सकता है।
  3. आंखों का लाल होना: आंखों का लाल होना या लाल आँख की स्क्लेरा (आंख की सफेद परत) दिखाई दे सकता है, जो एक और संभावित लक्षण हो सकता है.
  4. छलांगता दृष्टि का फील होना: व्यक्ति छलांगता दृष्टि का अहसास कर सकता है, जिसे आंखों की नसों में दबाव की वजह से हो सकता है।
  5. आंखों का छलांगता होना या आँखों का मौड़ा बनना: जब दृष्टि का दबाव बढ़ता है, तो आंखें बढ़ सकती हैं और छलांगता हो सकता है, जिसे आंखों का मौड़ा बनना भी कहा जा सकता है।
  6. नितीय बार-बार दृष्टि बदलना: जिन लोगों को काला मोतियाबिंद होता है, वे अकसर नितीय बार-बार दृष्टि को बदल सकते हैं या अचानक ब्लर हो सकता है।
  7. दृष्टि के क्षेत्र में कमजोरी: काला मोतियाबिंद के मरीजों में दृष्टि के क्षेत्र में कमजोरी हो सकती है, जिसे परिफेरल विज़न कमजोरी कहा जाता है।
  8. नितीय चक्कर आना: आंखों के दबाव के कारण, व्यक्ति को नितीय चक्कर आ सकता है, जिससे यह स्थिति बढ़ सकती है।

यदि किसी को इन लक्षणों में से कोई भी है, तो उन्हें तत्परता से नेत्र चिकित्सक से मिलना चाहिए ताकि सही समय पर उपचार किया जा सके और आँखों की स्वस्थ्य को सही रूप से बनाए रखा जा सके।

काला मोतियाबिंद (Glaucoma) के कारण

  1. आयु संबंधी कारक (Age-Related Factors): काला मोतियाबिंद अक्सर बड़ी आयु के व्यक्तियों में होता है, और वृद्धावस्था के साथ इसका जोखिम बढ़ता है।
    बड़ी आयु के साथ, आंख के अंदरीय दबाव में वृद्धि हो सकती है, जिससे नेत्रदाब बढ़ता है और ग्लॉकोमा हो सकता है।
  2. आनुवांछिकता (Hereditary Factors): यदि किसी के परिवार में पहले से ही ग्लॉकोमा हो रहा हो, तो उस व्यक्ति की आनुवंछिकता से भी यह समस्या हो सकती है।आनुवंछिकता के कारण, व्यक्ति को ग्लॉकोमा के लिए अधिक जोखिम हो सकता है, विशेषकर यदि परिवार के सदस्यों में यह समस्या पहले से ही है।
  3. आंख की चोट या चिकित्सा (Eye Injury or Surgery):आंख की चोट या किसी चिकित्सा प्रक्रिया के बाद, आंख की नसों में क्षति हो सकती है जिससे नेत्रदाब में वृद्धि हो सकती है।
    इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि किसी चिकित्सा प्रक्रिया के दौरान आंख के दबाव में परिवर्तन हो और ग्लॉकोमा का विकास हो।
  4. उच्च आंख दाब (High Intraocular Pressure):
  • परिभाषा: यह ग्लॉकोमा का सबसे सामान्य कारण है, जिसमें आंख के नेत्रदाब (Intraocular Pressure) में बढ़ोतरी होती है।
  • कैसे होता है: आंख के भीतर शिरा में आँख के दबाव का बढ़ जाना, जिससे नेत्रदाब में वृद्धि होती है। यह दबाव नेत्र की स्त्री और आंख की नसों को क्षति पहुंचा सकता है।

5. पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Factors):बड़े नगरों में बढ़ती वायु प्रदूषण, तेज और अधिक उच्चतम तापमान, और अन्य पर्यावरणीय कारक              भी ग्लॉकोमा का एक कारण हो सकते हैं। इन पर्यावरणीय कारकों के कारण आंखों के नेत्रदाब में बढ़ोतरी हो सकती है, जो ग्लॉकोमा के विकास का                  कारण बन सकती है।   

निष्कर्ष:
काला मोतियाबिंद के कारणों में आयु संबंधी कारक, आनुवांछिकता, आंख की चोट या चिकित्सा, और पर्यावरणीय प्रभाव शामिल हो सकते हैं। इन कारणों को सही समय पर पहचाना और उचित उपचार किया जाए, तो ग्लॉकोमा के प्रगति को नियंत्रित करना संभव है और आंखों की स्वस्थ्य को सही रूप से बनाए रखा जा सकता है।

काला मोतियाबिंद

 

काला मोतियाबिंद (Glaucoma) के विभिन्न प्रकार

1. ओपन-एंगल ग्लॉकोमा:

  • परिभाषा: ओपन-एंगल ग्लॉकोमा एक सामान्य और सबसे प्रचलित प्रकार का Glaucoma है।
  • कैसे होता है: इस प्रकार के काला मोतियाबिंद में, आंख के नेत्रदाब (Intraocular Pressure) में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होती है, लेकिन यह धीरे-धीरे होने के बावजूद व्यक्ति को किसी प्रकार के लक्षण महसूस नहीं होते हैं।
  • पहचान और उपचार: इसे आमतौर पर नेत्र स्वास्थ्य की जाँचों के माध्यम से पहचाना जाता है और तत्पर उपचार से इसकी प्रगति को नियंत्रित किया जा सकता है।

2. क्लोज्ड-एंगल ग्लॉकोमा:

  • परिभाषा: क्लोज्ड-एंगल ग्लॉकोमा एक अधिक गंभीर प्रकार का काला मोतियाबिंद है जो तेजी से बढ़ने वाला है।
  • कैसे होता है: इस प्रकार के काला मोतियाबिंद में, आंख के नेत्रदाब का बड़ा और तेजी से बढ़ने लगता है, जिससे आंख की नसें तेजी से बंद हो जाती हैं। इससे दरअसल नेत्रदाब बहुत तेजी से बढ़ता है और आंख की स्त्री की चाँदनी बंद हो सकती है, जिसे “क्लोज्ड-एंगल” कहा जाता है।
  • लक्षण और उपचार: इसमें आंख में दर्द, रैंचिंग लाइट, और दृष्टि की धीरे-धीरे कमी जैसे लक्षण हो सकते हैं। तत्पर उपचार के लिए आंख चिकित्सक की सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बीमारी तेजी से बढ़ सकती है और बचाव न किया जाए तो यह दृष्टि को अस्थायी रूप से या स्थायी रूप से कमजोर कर सकती है।

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काला मोतियाबिंद (Glaucoma) के उपचार के विकल्प

  1. दवाइयाँ (Medications):
    • आंख की नेत्रदाब कम करने वाली दवाएं (Intraocular Pressure Lowering Medications): इसमें बेटा-ब्लॉकर्स, एल्फा-ब्लॉकर्स, प्रोस्टैग्लैंडिन एनालॉग्स, कार्बोनिक एन्हाइड्रेज इंहिबिटर्स आदि शामिल हो सकती हैं, जो आंख के नेत्रदाब को कम करने में मदद करती हैं।
  2. लेजर ट्रीटमेंट (Laser Treatment):
    • लेजर ट्राबेक्यूलोप्लास्टी (Laser Trabeculoplasty): यह एक प्रकार की लेजर ट्रीटमेंट है जिसमें लेजर की मदद से आंख के नेत्रदाब को कम करने का प्रयास किया जाता है।
    • लेजर ईरिडोटॉमी (Laser Iridotomy): इसमें लेजर की मदद से छोटी सी छेद का निर्माण किया जाता है जो आंख के नेत्रदाब को कम करने में मदद करता है।
  3. सर्जरी (Surgery):
    • त्राबेक्टोमी (Trabeculectomy): इसमें आंख के भीतर एक नया छेद बनाया जाता है, जिससे आंख के नेत्रदाब को कम किया जा सकता है।
    • आंख की शुन्यका की शल्यचिकित्सा (Drainage Device Implantation): इसमें आंख के अंदर एक उपकरण स्थापित किया जाता है जो आंख के नेत्रदाब को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  4. मुल्यांकन और सचेतना (Monitoring and Awareness):
    • काला मोतियाबिंद का नियमित मुल्यांकन और सचेतना बचाव भी कर सकता है। इसमें आंख की नेत्रदाब का मुल्यांकन और आंखों की स्वस्थ्य के लिए सामान्य जागरूकता शामिल हो सकती है।
  5. नेत्र सुरक्षा (Eye Protection):
    • यदि किसी को ग्लॉकोमा है, तो उन्हें अच्छे से निरीक्षण करने के लिए नियमित जाँच लेनी चाहिए और डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाएं लेनी चाहिए। विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ मिलकर सही उपचार का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

स्थानीय और प्राकृतिक उपचार जैसे विकल्प

  1. आहार और पोषण:
    • अंतिओक्सीडेंट युक्त आहार: अंतिओक्सीडेंट भरपूर आहार लेना, जिसमें खुबसूरत सब्जी, फल, और समृद्धि से भरपूर अनाज शामिल हो। इससे आँखों की स्वस्थ्य को बनाए रखने में मदद हो सकती है।
  2. आयुर्वेदिक तंतु मंत्रा:
    • त्रिफला के उपयोग: त्रिफला आंखों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकती है। इसे आयुर्वेदिक औषधियों में एक प्रमुख सामग्री के रूप में उपयोग किया जाता है।
  3. योग और प्राणायाम:
    • त्राटक (Concentration Technique): त्राटक के द्वारा आंखों की मानसिक और भौतिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किया जा सकता है।
    • अनुलोम-विलोम (Alternate Nostril Breathing): यह प्राणायाम आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है और संतुलित प्राण फ्लो को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
  4. होमियोपैथी और नैचुरोपैथी:
    • जिन्क सप्लीमेंट्स: जिन्क की खासी मात्रा में लेना, जैसा कि होमियोपैथिक और नैचुरोपैथिक तंत्रों में सुझाया गया है, आंखों की स्वस्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है।
  5. आयुर्वेदिक केवलांग (Kavala Graha):
    • आयुर्वेदिक केवलांग, जिसमें तेल से मुख स्वच्छ किया जाता है, मुख के अंदर की विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद कर सकता है और आंखों की स्वस्थ्य को बनाए रखने में सहायक हो सकता है।
  6. योगाभ्यास और आसन:
    • पलमा मुद्रा (Palming): यह योगासन आंखों की अच्छी स्वस्थ्य को बनाए रखने के लिए उपयोगी हो सकता है।
  7. नेत्र तारा क्रिया:
    • नेत्र तारा क्रिया (Eye Exercises): नेत्र तारा क्रिया के माध्यम से आंखों की कसरत और मजबूती को बढ़ावा दिया जा सकता है।

नोट: सभी उपचार विकल्पों को बिना किसी डॉक्टर की सलाह के न शुरू किया जाना चाहिए। आपके स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें और उनसे सुरक्षित और उपयुक्त उपचार के बारे में चर्चा करें।

काला मोतियाबिंद

 

Glaucoma की पहचान और बचाव के लिए सुझाव

  1. नियमित नेत्र परीक्षण:
    • नियमित रूप से नेत्र परीक्षण करवाएं, विशेषकर यदि आपकी आयु 40 वर्ष से अधिक है या आपके परिवार में ग्लॉकोमा के मरीज हैं।
    • नेत्र चेकअप में नेत्रदाब की मापक और आंख की अन्तरदृष्टि की जांच शामिल होनी चाहिए।
  2. पर्याप्त आहार:
    • अंतिओक्सीडेंट भरपूर आहार लें जो आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है।
    • खासकर, विटामिन ए, सी, और ई युक्त आहार का सेवन करें।
  3. उच्च आंख दाब के लिए सतर्क रहें:
    • उच्च आंख दाब एक ग्लॉकोमा का सामान्य कारण है, इसलिए नियमित रूप से आंख चेक करवाएं।
  4. स्वस्थ जीवनशैली:
    • नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि करें, जैसे कि योग और प्राणायाम, जो सामान्य रूप से आंखों की स्वस्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
    • शराब और धूम्रपान से बचें, क्योंकि ये ग्लॉकोमा के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
  5. संतुलित रक्तचाप बनाए रखें:
    • उच्च रक्तचाप काला मोतियाबिंद का एक कारण हो सकता है, इसलिए नियमित रूप से अपना रक्तचाप जाँचवाएं और उचित उपायों से इसे नियंत्रित करें।
  6. विशेषज्ञ की सलाह:
    • यदि आपको किसी भी प्रकार की आंख संबंधित समस्या हो, तो तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लें।
    • यदि आपमें किसी को काला मोतियाबिंद है, तो आपको नियमित रूप से उच्च आंख दाब का नियमित मॉनिटरिंग करना चाहिए।
  7. चिकित्सकीय निरीक्षण का पालन करें:
    • नियमित रूप से चिकित्सकीय निरीक्षण करवाएं और डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाएं लें, यदि कोई परेशानी हो।

नोट: सभी सुझावों को अपने चिकित्सक से सुनिश्चित करें और अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए नियमित रूप से चेकअप करवाएं।

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FAQ:

QUE1. काला मोतियाबिंद क्या है?

ANS: काला मोतियाबिंद, या ग्लूकोमा, एक आँखों का रोगी है जिसकी आँखों के अंदर की दरार (इंट्राओकुलर प्रेशर) बढ़ जाती है, जिसकी नसों को नुक्सान होता है। ये आँखों का एक गंभीर रूप है, जिसका समय पर पहचान और इलाज करना महत्वपूर्ण है।

Que2. काला मोतियाबिंद के लक्षण क्या होते हैं?

Ans: काला मोतियाबिंद के शुरुआती चरण में अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखते, लेकिन जब ये बढ़ जाता है, तो कुछ लक्षण हो सकते हैं जैसे कि दर्द, दृष्टि कमजोरी, हल्की सी हवा में भी दृष्टि में फर्क, और कभी-कभी सर दर्द।

Que3. काला मोतियाबिंद का इलाज क्या है?

Ans:काला मोतियाबिंद का इलाज दवाइयाँ, लेजर थेरेपी, फिर सर्जरी के माध्यम से किया जा सकता है। दवाइयों के सेवन से इंट्राओकुलर प्रेशर को नियंत्रित किया जा सकता है, जबकी सर्जरी या लेजर थेरेपी के द्वारा एक्स्ट्रा प्रेशर को कम किया जा सकता है।

Que4. काला मोतियाबिंद से बचने के तरीके क्या हैं?

Ans: काला मोतियाबिंद से बचने के लिए नियामित रूप से आंखों का चेक-अप करना, स्वस्थ आहार लेना, तंबाकू और शराब का सेवन करना, और आंखों की सुरक्षा के लिए सावधान रहना जरूरी है।

Que5. काला मोतियाबिंद का समय पर पहचान कैसे बनाई जा सकती है?

Ans: काला मोतियाबिंद का समय पर पहचान के लिए नियमित आंखों का चेक-अप कराना महत्वपूर्ण है। जब इंट्राओकुलर प्रेशर बढ़ जाता है, तो आंखों की नसों पर असर होता है, जिसकी आंखों को नुकसान हो सकता है।

Que6. क्या काला मोतियाबिंद का इलाज संभव है?

Ans: हां, काला मोतियाबिंद का इलाज संभव है, लेकिन समय पर पहचान और उचित इलाज के लिए नियम आंखों का चेक-अप कराना बहुत जरूरी है। प्रारंभिक चरण में पहचान और इलाज से रोगी को अधिक मामलों में आंखों का नुक्सान रोका जा सकता है।

Que7. क्या काला मोतियाबिंद के इलाज के बाद पूरी तरह ठीक हो जाते हैं?

Ans: काला मोतियाबिंद के इलाज के बाद, रोगी का स्थिति इलाज के बाद, रोग की स्थिति पर, और उसकी उम्र पर निर्भर करता है। कभी-कभी इलाज के बाद भी दृष्टि में कमी रहती है, लेकिन समय पर पहचान हो गई और उछित रूप से इलाज किया गया ग्लूकोमा की जटिलताओं को कम किया जा सकता है।

Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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